यूँ ही आसाँ नहीं है नूर में तहलील हो जाना By Sher << उस के बयान से हुए हर दिल ... हिज्र-ए-जानाँ के अलम में ... >> यूँ ही आसाँ नहीं है नूर में तहलील हो जाना वो सातों रंग 'क़ासिर' एक पैराहन में रखता है Share on: