हिज्र-ए-जानाँ के अलम में हम फ़रिश्ते बन गए By Sher << यूँ ही आसाँ नहीं है नूर म... कभी किसी को मुकम्मल जहाँ ... >> हिज्र-ए-जानाँ के अलम में हम फ़रिश्ते बन गए ध्यान मुद्दत से छुटा आब-ओ-तआ'म-ओ-ख़्वाब का Share on: