यूँ तो मुमकिन नहीं दुश्मन मिरे सर पर पहुँचे By Sher << क़त्ल का इतना शोर हुआ है दिए जाएँगे कब तक शैख़-साह... >> यूँ तो मुमकिन नहीं दुश्मन मिरे सर पर पहुँचे पहरे-दारों में कोई आँख झपक जाता है Share on: