यूँ तो मुसहफ़ भी उठाए गए क़समें भी मगर By Sher << मैं जिसे हीर समझता था वो ... तुझ को छुआ तो देर तक ख़ुद... >> यूँ तो मुसहफ़ भी उठाए गए क़समें भी मगर आख़िरी फ़ैसला तलवार उठाने से हुआ Share on: