तुझ को छुआ तो देर तक ख़ुद को ही ढूँडता रहा By Sher << यूँ तो मुसहफ़ भी उठाए गए ... तू किसी सुब्ह सी आँगन में... >> तुझ को छुआ तो देर तक ख़ुद को ही ढूँडता रहा इतनी सी देर में भला तुझ से कहाँ मिला हूँ मैं Share on: