यूँही बेकार मैं पड़ा ख़ुद को By Sher << इस गए साल बड़े ज़ुल्म हुए... हर सम्त फ़लक-बोस पहाड़ों ... >> यूँही बेकार मैं पड़ा ख़ुद को कार-आमद बना रहा हूँ मैं Share on: