इक लहर है कि मुझ में उछलने को है 'ज़फ़र' By Sher << कोई दस्तक कोई आहट न सदा ह... दैर ओ हरम भी ढह गए जब दिल... >> इक लहर है कि मुझ में उछलने को है 'ज़फ़र' इक लफ़्ज़ है कि मुझ से अदा होने वाला है Share on: