खिड़की तो 'शाज़' बंद मैं करता हूँ बार बार By Sher << मैं ने तन्हाइयों के लम्हो... पानी निकल के दश्त में जार... >> खिड़की तो 'शाज़' बंद मैं करता हूँ बार बार लेकिन हवा-ए-शौक़ कि ज़िद पर अड़ी रहे Share on: