नतीजा अपनी आहों का है शक्ल-ए-मुस्तवी पूरा Admin Unpublished Sher << पीर-ओ-मुर्शिद मुआ'फ़ ... ना-तवाई ने न छोड़ा बस कि ... >> नतीजा अपनी आहों का है शक्ल-ए-मुस्तवी पूरा हयूला सूरत-ए-काबूस फिर ख़्वाब-ए-गिराँ क्यूँ हो Share on: