रोज़ इस शहर में इक हुक्म नया होता है Admin रोज डे शायरी हिंदी, Unpublished Sher << में भोला नहीं तुझ को ए मे... रोज़ इस शहर में इक हुक्म नया होता है कुछ समझ में नहीं आता है कि क्या होता है Share on: