थका जब क़तरा-ए-बे-दस्त-ओ-पा बाला दवीदन से Admin गाली की शायरी, Unpublished Sher << तुम सलामत रहो क़यामत तक था तो ख़त पर न था जवाब-तल... >> थका जब क़तरा-ए-बे-दस्त-ओ-पा बाला दवीदन से ज़-बहर-ए-यादगारी-हा गिरह देता है गौहर की Share on: