_हीरों की बस्ती में हमने कांच ही कांच बटोरे हैं_ कितने लिखे फ़साने फिर भी सारे Admin हीरो शायरी, अन्य << निकाल दिया उसने हमें अपनी... ज़िंदगी का सफर तो एक हसीं ... >> _हीरों की बस्ती में हमने कांच ही कांच बटोरे हैं_कितने लिखे फ़साने फिर भी सारे कागज़ कोरे है।_ Share on: