अब ना तुम मुझसे कभी हरगिज़ दगा कर पाओगे Admin ठाकुर शायरी, अन्य << तुम्हें गर यह ही चाहत थी ... मेरी तलाश में दीवानगी का ... >> अब ना तुम मुझसे कभी हरगिज़ दगा कर पाओगे देख लो आवाज़ देकर पास अपने पाओगेचेहेरये रंगी से अपने तुम उठाकर यूँ नक़ाब चाँद को भी चांदनी रातों में तुम शरमाओगे Share on: