भेदभाव भूलकर Admin दाल पर शायरी, अन्य << ज़रा-ज़रा सी बात पर तकरार... बजती नहीं है तालियाँ किसी... >> भेदभाव भूलकर, क्यूँ न आज ऐसा माहौल बना लें....तू मेरे प्याज़ ले, मैं तेरी अरहर, मिलकर दाल बना लें.... Share on: