ढूँढोगे अगर मुल्कों मुल्कों मिलने के नहीं नायाब हैं हम अन्य << मैं उन्हीं ख़ूबियों का मा... न जाने क्या मासूमियत है त... >> ढूँढोगे अगर मुल्कों मुल्कों मिलने के नहीं नायाब हैं हमजो याद न आए भूल के फिर ऐ हम-नफ़सो वो ख़्वाब हैं हम! Share on: