गर सपनों के आकार होते। तो शायद वो साकार होते। बनती क्यूं फूतपाथ जिंदगी Admin जिंदगी कि शायरी, अन्य << जे चीज मांग कर मिले वो मन... मेरी खामोशियों में भी फसा... >> गर सपनों के आकार होते।तो शायद वो साकार होते।बनती क्यूं फूतपाथ जिंदगी,हम भी नहीं बेकार होते। Share on: