गुलों में रंग भरे बाद-ए-नौ-बहार चले अन्य << सफ़र में धूप तो होगी जो च... चली है मौज में काग़ज़ की ... >> गुलों में रंग भरे बाद-ए-नौ-बहार चले,चले भी आओ कि गुलशन का कारोबार चलेक़फ़स उदास है यारो सबा से कुछ तो कहो,कहीं तो बहर-ए-ख़ुदा आज ज़िक्र-ए-यार चले!*बहर-ए-ख़ुदा: ईश्वर के लिए*क़फ़स: पिंजरा, क़ैदख़ाना*सबा: हवा, सुबह की हवा Share on: