ज़िंदगी यूँ भी बहुत कम है मोहब्बत के लिये Admin शायरी वक्त की, अन्य << कभी मुस्कुराती आँखे भी कर... खेलना अच्छा नहीं किसी के ... >> ज़िंदगी यूँ भी बहुत कम है मोहब्बत के लिये,रूठ कर वक्त गँवाने की ज़रूरत क्या है....!!! Share on: