कहीं तो शौख में महँगी सी कार आई है Admin बच्चे शायरी, अन्य << इशक है ऐसी दवा ज़ख्मों को ... मैं अपने दिल से हजार बार ... >> कहीं तो शौख में महँगी सी कार आई हैकहीं पे माँ कि दवा भी उधार आई हैउस एक लम्हे से गुमसुम सी है मेरी बच्चीवो खेल खेल में तितली को मार आई है Share on: