मैंने कल शब चाहतों की सब किताबें फाड़ दी Admin लफ्ज शायरी हिंदी, अन्य << क्या पता था जल के आशियाँ अपना ख़ाक हो ... >> मैंने कल शब चाहतों की सब किताबें फाड़ दीसिर्फ एक कागज़ पर लफ्जे माँ रहने दिया। Share on: