यूँ तो मुद्दतें गुज़ार दी है Admin यादो कि शायरी, अन्य << अकसर ठहर कर देखता हूँ अपन... पगली इतनी भी मत अकड की त... >> यूँ तो मुद्दतें गुज़ार दी है, हमने तेरे बगैर,मगर आज भी तेरी यादों का झोंका,मुझे टुकड़ों में बिखेर देता है.....प्रेषक रवि उपाध्याय Share on: