आँखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखा Admin समंदर शायरी इन हिंदी, अरमां << मजबूर मोहब्बत जता न सके मिलना इतिफाक था >> आँखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखाकश्ती के मुसाफिर ने समंदर नहीं देखापत्थर मुझे कहता है मेरा चाहने वालामैं मोम हूँ उसने मुझे छू कर नहीं देखा। Share on: