कभी ज़िंदगी में ऐसी शाम तो आए अरमां << शायद फिर से वो तकदीर मिल ... बहुत नायब होते हैं जिन्हे... >> कभी ज़िंदगी में ऐसी शाम तो आएबेचैन सी इन सांसो को आराम तो आएना रह जाएगी कोई रज़ा फिर उस खुदा से दोस्तोइकरार का उनका कोई पैगाम तो आए। Share on: