मैंने कब चाहा कि वो ज़िंदगी मेरे नाम कर दे Admin सुबह पर शायरी, अरमां << गिला रहे हमसे आपकी जुदाई भी हमें प्यार ... >> मैंने कब चाहा कि वो ज़िंदगी मेरे नाम कर देबस मुझे चाहे, इतना सा काम कर देहर रोज़ सोचा करे, कुछ लम्हे बसकब कहा कि मेरी याद में सुबह से शाम कर दे। Share on: