उभर फिर पुराना इक ग़म आ गया है पुराना साल शायरी, अश्क << दिल से तो कई मौसम गुज़र जा... कतरे - कतरे की प्यास बुझा... >> उभर फिर पुराना इक ग़म आ गया हैआँखों में बरसात का मौसम आ गया है! Share on: