है फिर भी सुकून कि 'तलाश' है Admin आध्यात्मिक << हमने हर शाम चिरागों से सज... प्यार और विश्वास को हो सक... >> है फिर भी सुकून कि 'तलाश' हैमालिक तेरा बंदा कितना 'उदास' हैक्यों खोजता है इंसान 'राहत'जब कि दुनिया में सारे 'मसलों' का हल है तेरी 'अरदास' में! Share on: