वो राहें जहाँ चार आँखो की गुफ़्तगु होती थी आज वहाँ बस दो आँखो मे ही इंतज़ार का Admin इंतज़ार शायरी इन हिंदी फॉन्ट, इंतज़ार << इंतज़ार की आरज़ू अब खो गय... उसने कहा अब किसका इंतज़ार... >> वो राहेंजहाँ चार आँखो की गुफ़्तगु होती थीआज वहाँबस दो आँखो मे ही इंतज़ार का मंज़र बचा है Share on: