अपनी बदमाशी का आलम कुछ ऐसा है Admin खफा शायरी इन हिंदी, इश्क << इश्क है या इबादत क्यों कभी किसी के काबिल न... >> अपनी बदमाशी का आलम कुछ ऐसा है दुश्मन तो दुश्मन साला जमाना भी हमसे खफा है Share on: