क्यों कभी किसी के काबिल न हो सका Admin खुशी शायरी हिन्दी, इश्क << अपनी बदमाशी का आलम कुछ ऐस... आज आया है >> क्यों कभी किसी के काबिल न हो सकाखुशी में खुद अपनी शामिल न हो सकावो दाखिल होता गया मुझ में हर दफ़ामैं अपने ही दिल में दाखिल न हो सका। Share on: