सांस रुक जाए मगर आंखें कभी बंद न हो
मौत आए भी तो तुझे देखने की जिद खत्म न हो
दर्द उठता है तो बस ये ही दुआ करता हूं
तेरे दिल में मेरे खातिर कोई भी जख्म न हो
जिन चिरागों को जलाने के लिए आग नहीं
उनकी लाशों पर कभी जुगनुओं का जश्न न हो
जिंदगी तुमसे मेरा खून का रिश्ता है मगर
फिर से मेरा ऐसे रिश्तों में कभी जन्म न हो