सर झुकाने से नमाज़ें अदा नहीं होती Admin नमाज़ की शायरी, इश्क << कटी पतंग का रुख़ था मेरे ... अमीर तो हम भी थे दोस्तो >> सर झुकाने से नमाज़ें अदा नहीं होती...!!!दिल झुकाना पड़ता है इबादत के लिए...!!!पहले मैं होशियार था,इसलिए दुनिया बदलने चला था,आज मैं समझदार हूँ,इसलिए खुद को बदल रहा हूँ।। Share on: