तेरी मुहब्बत भी किराये के घर की तरह थी Admin मुहब्बत भरी शायरी, इश्क << थाम कर बैठे हो जिसे गर्दि... आज फिर बैठी हूँ हिचकियों ... >> तेरी मुहब्बत भी किराये के घर की तरह थी...कितना भी सजाया पर मेरी नहीं हुई. Share on: