ये शीशे अधूरे सपने शायरी, ज़िन्दगी << यूँ ना छोड़ जिंदगी की कित... जो तीर भी आता वो खाली नही... >> ये शीशे, ये सपने, ये रिश्ते और ये ज़िन्दगीकिसे क्या खबर है, कहाँ टूट जायेंगे! Share on: