जुदाइयों के ज़ख़्म दर्द-ए-ज़िंदगी ने भर दिए जुदाई << उस गली ने ये सुन के सब्र ... नया एक रिश्ता पैदा क्यों ... >> जुदाइयों के ज़ख़्म दर्द-ए-ज़िंदगी ने भर दिएतुझे भी नींद आ गई मुझे भी सब्र आ गया! Share on: