ये कैफ़ियत है मेरी जान अब तुझे खो कर जुदाई << रौशनी को तीरगी का क़हर बन... कैसे कह दूँ कि मुलाक़ात न... >> ये कैफ़ियत है मेरी जान अब तुझे खो करकि हम ने ख़ुद को भी पाया नहीं बहुत दिन से! Share on: