ये उदास शाम और तेरी ज़ालिम याद… Admin शब्बा खैर शायरी, जुदाई << टपक पड़ते हैँ आँसू जब किसी... कर लो एक बार याद ए रप्चिक... >> ये उदास शाम और तेरी ज़ालिम याद….!खुदा खैर करे अभी तो रात बाकि है…. Share on: