बहुत महँगी हुई अब तो वफा Admin सच्चा प्यार शायरी, दर्द << कहाँ तक किसका ग़म होगा वफ़ा की ज़ंज़ीर से डर लगत... >> बहुत महँगी हुई अब तो वफा..लोग कहाँ मिलते हैं, जो सच्चा प्यार करेंमोहब्बत तो बन गई है अब सजा..आशिक कहाँ मिलते हैं, जो संग-संग इश्क का दरिया पार करें! Share on: