कहाँ तक किसका ग़म होगा Admin समंदर पर शायरी, दर्द << छोंड़ गए हमको वो अकेले ही ... बहुत महँगी हुई अब तो वफा >> कहाँ तक किसका ग़म होगामेरे जैसा यहाँ, कोई न कोई रोज़ कम होगासमंदर की ग़लतफ़हमी से कोई पूछ तो लेताजमीं का हौसला क्या ऐसे तूफां से कम होगा Share on: