गलती से सपने सजा बैठा

गलती से सपने सजा बैठा, न जाने क्यों इकरार किया.
नजर में क्यों बसाया, क्यों तुझसे प्यार किया .......

अस्क बहते रहे इन आँखों से रात भर,
पर तेरी तस्वीर ना मिटा पायें
धुंधला हो गया सारा आलम धुएं से ,
अरमान दिल के दिल में इतनी आग लगाये |

बुझ बुझ के जलते रहे पर एक ख्वाब ना जला पाए |

ये गम-ए-सितम क्यों, ए आंखे है नम क्यों |
ऐसा क्या मांग लिया तुझसे तू है इतनी बेरं क्यों |

मोहब्बत में हमेशा ही गम क्यों है |
दुखो का इश्क से संगम क्यों है |
देखा है कइयो को रोज सनम बदलते |
सच्चे प्यार वालो पे ही सितम क्यों है |

तू दूर जा कड़ी है बदाये दूरियां दरमियाँ हमारे |
बोझल इन आँखों को अस्को से कर के ,,,,,धुंधले किये इनके ख्वाब सारे....

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