ख्वाब भी अब चुनकर देखता हूँ मैं आँसुओं को पलकों में समेटता हूँ मैं तुम नहीं मगर Admin अहसास पर शायरी, दर्द << हाथों में जाम है और शामें... सब कुछ मिट जाता है इश्क म... >> ख्वाब भी अब चुनकर देखता हूँ मैंआँसुओं को पलकों में समेटता हूँ मैंतुम नहीं मगर तेरे होने का अहसास,अब भी मेरी रूहों में बाकी है...जिस्म को चंद साँसों में लपेटता हूँ मैं Share on: