कभी कभी किसमत भी अजीब खेल खेलती है Admin दर्द << शाम है बुझी बुझी वक्त है ... मैंनें उस उम्र में >> कभी कभी किसमत भी अजीब खेल खेलती हैहर पल एक नए मोड़ में खड़ा कर देती हैजिनकी साथ चलना चाहते है हमवही हमसे दूर चले जाते है Share on: