कबसे बैठा हूँ मैं इंतेजार में Admin सच झूठ शायरी, दर्द << न ज़िद है न ग़ुरूर है हमे... छू लूँ तुझे या तुझमें ही ... >> कबसे बैठा हूँ मैं इंतेजार में,झूठा वादा ही कर कोई प्यार में...!क्या सितम है जानम, तेरी सर की कसम...याद चाहे ना कर तू मुझे गम नहीं...हाँमगर भूल जाने की कोशिस ना कर...!!! Share on: