मैं इसे किस्मत कहूँ या बदकिस्मती अपनी Admin जिस्म शेरो शायरी, दर्द << मेरी मोहब्बत मेरे दिल की ... कश्ती के मुसाफिर ने समँदर... >> मैं इसे किस्मत कहूँ या बदकिस्मती अपनी,तुझे पाने के बाद भी तुझे खोजता रहा,सुना था वो मेरे दर्द मे ही छुपा है कहीं,उसे ढूँढने को मैं अपने ज़ख्म नोचता रहा. Share on: