कश्ती के मुसाफिर ने समँदर नहीँ देखा । आँखो को देखा पर दिल के अन्दर नहीँ Admin दर्द << मैं इसे किस्मत कहूँ या बद... दिल के सागर मे लहरे उठाया... >> कश्ती के मुसाफिर ने समँदर नहीँ देखा ।आँखो को देखा पर दिल के अन्दर नहीँ देखा ।पत्थर समझते है मुझे मेरे चाहने वाले ।हम तो मोम थे किसी ने छुकर नहीँ देखा । Share on: