परखते रहे वो हमें सारी जिंदगी....हम भी उनके हर इम्तहान में पास होते रहे........मज़ा ऐ00
06 रहा था उनको हमारी आसूँ की बारिश में......हम भी उनके लिए बिना रुके रोते रहे......बेदर्द थे वो कुछ इस कदर....नींद हमारी उड़ा कर वो खुद चैन से सोते रहे....जिन्हें पाने के लिए हम ने सब कुछ लुटा दिया...वो हमें हर कदम पे खोते रहे.........और,एक दिन जब हुआ इसका एहसास उन्हें...वो हमारे पास आकर......पूरे दिन रोते रहे.....हम भी खुदगर्ज़ निकले,यारों ......कि आँखें बंद कर ली..और,कफ़न में चैन से सोते रहे..