सब कुछ तो है नसीब मे दिन रात की तन्हाई मे आराम नहीं ! मेरी खताओं Admin इल्जाम पर शायरी, दर्द << छोड दो मुड कर देखना उन्हे... हुए बदनाम मगर फिर भी न सु... >> सब कुछ तो है नसीब मे दिन रात की तन्हाई मे आराम नहीं !मेरी खताओं की सजा अब मौत ही सही इसके सिवा कोई भी अरमान नहीं !कहते है ओ मेरी तरफ नजरें उठाये इस शहर में तूझसे बड़ा कोई बदनाम नहीं !!तेरा हर इल्जाम कुबूल !!!!! Share on: