आँखों की नमी को लबों की मुस्कान से छिपा लेते हैं हम Admin हिन्दी जिंदगी शायरी, प्रेम << मौत मांगते हे तो झींदगी ख... सुना है कि जमाने उसे >> आँखों की नमी को लबों की मुस्कान से छिपा लेते हैं हम ,हँसते हँसते अपने दुःख के आंसूं बहा लेते हैं हम ,कोई देख भी नहीं पता हमारे हंसी और दुःख के आंसूं में अंतर ,अपने दुखी जिंदगी को हंसती हुई शक्सियत में छिपा लेते हैं हम. Share on: