सुना है कि जमाने उसे.......ठहर के देखते हैंऐसा है,तो आज उसकी बात कर के देखते हैसुना उनकी खुशबू से महकती है फिज़ाएजब वो अपनी ज़ुल्फें यूँ लहरा कर के देखते हैसुना है सियासतदारो में भी चर्चे हैसुना वो भी उसे शहर में पहरा कर के देखते हैसुना हीरे-मोती भी किस्मत पे इतराते हैजब वो उनको अपने गले लगा कर के देखते हैंहिरण भी उनकी हसीन आंखों से जलते हैसो वो भी उनको उछल के,दश्त भर के देखते हैफूलों की जगह उनके होंठों के चर्चे हैइसका इल्ज़ाम बहारो पे धर के देखते हैंदिन में भी तितलिया उसे सताती रहती हैंऔर रात भर जुगनू उजाले कर कर के देखते हैं....