गीले काग़ज़ की तरह है ज़िंदगी अपनी Admin अकेले पर शायरी, प्रेम << लेकर आना उसे मेरे जनाजे म... दिल की उम्मीदों का हौंसला... >> गीले काग़ज़ की तरह हैज़िंदगी अपनी,कोई लिखता भी नहींऔर कोई जलाता भी नहीं,इस क़दर अकेले हो गये हैंआज कल,कोई सताता भी नहींऔर कोई मनाता भी नही... Share on: