![](http://cdn.pagalshayari.com/images/FB/vakt-tab-kuch-aur-tha-ye-jindagi-kuch-aur-thi-vo-teri-pahli-nazar-wo-dillagi-prem-hindi-shayari.jpg)
वक़्त तब कुछ और था ये जिंदगी कुछ और थीवो तेरी पहली नज़र वो दिल्लगी कुछ और थीआग पानी फूल तितली बिजलियाँ रंगीनियाँ चाँद सूरज सब वही थे रौशनी कुछ और थीइस शहर के मयकदों में जी रहा हूँआज कल पर तुम्हारे इश्क़ की वो मयकशी कुछ और थीसच है ये भी रात दिन मिलता हूँ सबसे पर सनम ख्वाबों में दीदार वाली आशिक़ी कुछ और थीअब किसी का डर नहीं दुनिया समझता हूँ मगर"कर न दो इनकार तुम" वो बेबसी कुछ और थीसज रहे है हर जगह अब इश्क़ भी बाजार भीयाद है मुझको तुम्हारी सादगी कुछ और थी